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NATIONAL HIGH SPEED RAIL CORPORATION LIMITED

नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

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परियोजना के मुख्‍य अंश

पानी के भीतर सुरंग

प्रस्तावित हाई स्पीड रेल कॉरिडोर मुंबई में ठाणे क्रीक से होकर गुजरेगा। क्योंकि इस क्षेत्र के आस-पास मैंग्रोव हैं और यह फ्लेमिंगो के लिए एक संरक्षित अभयारण्य है, इसलिए रेल ट्रैक को एक सुरंग के माध्यम से अंडरसी बनाया जाएगा, जिससे मौजूदा इकोसिस्टम को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे। यह भारतीय रेल परिवहन की सबसे लंबी और पहली अंडरसी सुरंग होगी। सुरंग 13.2 मीटर व्यास वाली एकल ट्यूब होगी, जिसे विभिन्‍न विभागों में एनएटीएम और टीबीएम, दोनों ही पद्धतियों द्वारा निष्पादित किया जाएगा। सर्वेक्षण कार्य के लिए पानी के नीचे की जाने वाली स्थैतिक अपवर्तन तकनीक का उपयोग किया गया था, जो अब पूरा हो चुका है।
अंडरसी टनल के योजना-विषयक रूटमैप और स्थैतिक अपवर्तन सर्वेक्षण को यहाँ दिखाया गया है

वड़ोदरा में हाई स्पीड रेल प्रशिक्षण केंद्र

भारतीय रेलवे राष्ट्रीय अकादमी (एनएआईआर), वड़ोदरा के साथ-साथ हाई स्पीड रेल प्रशिक्षण संस्थान, वड़ोदरा की भी स्थापना की जा रही है। यह प्रशिक्षण संस्थान एनएचएसआरसीएल के सभी कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण का स्थान होगा। इस प्रशिक्षण संस्थान के दिसंबर 2020 से काम शुरू करने की आशा है। जापानी विशेषज्ञों के साथ-साथ जापान में प्रशिक्षित अधिकारी/कर्मचारी इस संस्थान में प्रशिक्षण देंगे।
इसका उद्देश्य है कि हाई-स्पीड रेल प्रशिक्षण संस्थान, वड़ोदरा भविष्‍य में भारत में अन्य हाई-स्पीड कॉरिडोर्स के विकास के लिए एक आधार के रूप में कार्य करे

एरियल लिडार स्‍थलाकृति सर्वेक्षण

भारत में लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (LiDAR) को मुख्‍यत: इसकी उच्च सटीकता (100 मिमी) की वजह से भारत में पहली बार किसी रेल परियोजना में अपनाया गया है। यह तकनीक सटीक सर्वेक्षण डेटा देने के लिए लेज़र डेटा, जीपीएस डेटा, उड़ान के मापदंडों और वास्तविक तस्वीरों के संयोजन का उपयोग करती है फिर इस डेटा का उपयोग हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर्स के संरेखण, मार्गाधिकार, परियोजना प्रभावित भूखंडों/संरचनाओं आदि की पहचान के लिए किया जाता है।
बुलेट ट्रेन के लिए लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (LIDAR) स्‍थलाकृति सर्वेक्षण।

ज़मीन से 92% ऊपर उठा हुआ ट्रैक

हाई-स्पीड रेलवे का लगभग 92% हिस्सा वायाडक्‍ट्स और पुलों के ज़रिये ऊंचा हो जाएगा (जैसा कि तसवीर में दिखाया गया है) 508.09 किमी की दूरी में से, 460.3 किमी (90.5%) वायाडक्‍ट होगा, 9.22 किमी (1.8%) पुलों पर, 25.87 किमी सुरंगें (7 किमी लंबी अंडरसी सुरंग सहित) और 12.9 किमी (2.5%) तटबंध/उपमार्ग पर होगा।
ऊपर उठे हुए ट्रैक के कई लाभ होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात, यह सुनिश्चित करेगा कि इससे पानी के प्राकृतिक प्रवाह में कोई रुकावट ना हो। यह सभी जगहों पर क्रॉसिंग प्रदान करता है, मौजूदा सड़क नेटवर्क पर 5.5 मीटर (यानी सड़कों के लिए उच्चतम) की पर्याप्त निकासी उपलब्ध है, यह बाहरी हस्तक्षेप के खिलाफ सुरक्षा और बचाव की धारणा को बेहतर बनाता है और भूमि की आवश्यकता को कम करता है (36 मीटर चौड़ी परंपरागत रेल की पटरियों की बजाय 17.5 मीटर चौड़ाई)।

सिग्नलिंग प्रणाली - डीएस-एटीसी शिंकानसेन तकनीक

इन ट्रेनों में सबसे आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली होगी, जो जापानी शिंकानसेन ट्रेनों (जापानी बुलेट ट्रेनों) में इस्तेमाल की जाती है। इसमें कोडिड डिजिटल ऑडियो फ्रीक्‍वेंसी ट्रैक सर्किट्स के ज़रिए प्राइमरी ट्रेन डिटैक्‍शन और एनालॉग एग्‍ज़ल काउंटर्स के ज़रिए सैकेंडरी डिटैक्‍शन शामिल है। सिग्नलिंग प्रणाली के लिए उपयोग किये जाने वाले केबल्स उच्च विश्वसनीयता और सुरक्षा के लिए उच्च गुणवत्ता वाले गैस से भरे एटीसी केबल्स होंगे। भारतीय रेलवे में पहली बार ऐसा होगा कि हम गैस से भरे केबल्‍स का उपयोग करेंगे। इन केबल्‍स की निगरानी केबल गैस प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम के द्वारा की जाएगी। इस प्रणाली का उपयोग करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह केबल्स में आई दरार या उनके टूटने का फ़ौरन पता लगाने में मदद करते हैं और ये नमी प्रतिरोधी होते हैं।

दूरसंचार प्रणाली (शिंकानसेन पर आधारित)

इन ट्रेनों को सबसे आधुनिक दूरसंचार प्रणाली से सुसज्जित किया जाएगा, जो जापानी शिंकानसेन ट्रेनों (जापानी बुलेट ट्रेनों) में इस्तेमाल की जाती है।
यह दूरसंचार प्रणाली ऑप्टिकल फाइबर केबल्‍स का उपयोग करेगी, जिन्हें स्टेशनों और परिचालन नियंत्रण केंद्र की हाई स्पीड नेटवर्किंग का आधार माना जाता है। यह प्रणाली स्टेशनों के साथ-साथ ऑनबोर्ड यात्रियों के लिए भी केंद्रीय रूप से नियंत्रित यात्री सूचना प्रणाली से सुसज्जित होगी। सिग्नलिंग प्रणाली की तरह, दूरसंचार प्रणाली भी उच्च गुणवत्ता और सुरक्षा के लिए उच्च गुणवत्ता वाले गैस से भरे एलसीएक्स केबल्‍स का उपयोग करेगी।

एरोडायनामिक डिजाइन - हवा के खिंचाव को कम करने वाला

हवाई जहाज की तरह, हाई स्पीड रेल परिचालन गति पर एरोडायनामिक खिंचाव की समस्याओं का सामना करेगी और इसी वजह से इसे खिंचाव को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। कई अन्य फिक्स्चर्स जैसे कि कारों के बीच के फासलों में चारों तरफ फिट की हुई फेयरिंग्स, बोगियों के लिए साइड और नीचे के कवर्स और सभी अंडरफ्रेम माउंटिड उपकरणों को समस्त खिंचाव को कम करने के उद्देश्य से लगाया जाता है।
इसके अलावा, जब हाई स्पीड ट्रेन एक सुरंग से बाहर निकलती है, तो सूक्ष्म दबाव तरंगों के कारण एक धमाकेदार ध्वनि उत्पन्न होती है। फ्रंट नोज़ सेक्शन इस समस्या का समाधान है। हाई स्‍पीड ट्रेनों के नाक के आकार के एरोडायनामिक डिज़ाइन के ये ही मुख्‍य कारण हैं।