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व्यावहारिक, प्रेरक और सौंदर्यपरक: एचएसआर स्टेशन

भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना, मुंबई अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के आने से क्रांति आने वाली है और जिस तरह से रेलवे स्टेशनों की कल्पना और डिजाइन की गई है उसमें भी बदलाव आने वाला है। केवल यह कहना उचित होगा कि एचएसआर की शुरुआत के दौरान भारत में सतत परिवहन के लिए एक नया बुनियादी ढांचा विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, लेकिन सुविधा, नेविगेशन, सुविधा-संसाधनों और सौंदर्य के अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार स्टेशनों के बुनियादी ढांचे का स्तर ऊपर उठाने की योजना बनाने और विचार करने पर भी उतना ही जोर दिया जा रहा है।एचएसआर स्टेशनों में दुकानों, कैफे और रेस्तरां, पार्किंग स्थल, खुदरा और वाणिज्यिक केंद्रों, लाउंज क्षेत्र, सामान्य सुविधा कियोस्क की सुविधा उपलब्ध होगी, एक प्रभावशाली थीम पर आधारित भवन, एकीकृत मल्टीमॉडल परिवहन प्रावधान और सभी श्रेणियों के यात्रियों जैसे व्हीलचेयर वाले यात्रियों के लिए समर्पित पार्किंग, ब्रेल स्पर्श वाला फर्श आदि सहित आधुनिक और व्यावहारिक सुविधा-संसाधन होंगे।

स्वयं में एक गंतव्य

एचएसआर स्टेशन विशेष रूप से न केवल संचालन और कार्यक्षमता के मामले में उच्च स्तरीय होंगे, बल्कि महाराष्ट्र और गुजरात के टीयर 2 और उपग्रह शहरों में आधुनिकीकरण का प्रतीक बन जाएंगे। बड़ी संख्या में यात्रियों के आवागमन की मांगों को पूरा करने के लिए ,स्टेशन के  ऐसे आधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना जो इस तरह के गतिशील यातायात का आसानी से प्रबंधन कर सके, भविष्य के लिए सर्वोत्तम तार्किक कदम है। इसलिए, एचएसआर स्टेशन के डिजाइन सामान्य स्टेशन के पारंपरिक कार्य से हटकर होंगे और वे जिन क्षेत्रों में बनेंगे उनकी आर्थिक, वित्तीय, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रगति में सक्रिय भागीदार होंगे । स्वयं में एक गंतव्य, ये स्टेशन यात्रियों और आगंतुकों को सेवाओं के साथ-साथ उनकी यात्रा के बीच में आराम करने के लिए साफ और आरामदायक स्थान प्रदान करेंगे। स्थान की व्यवस्था यात्रा की दिशा के अनुसार होगी और यात्रियों को सहजता से स्टेशन खोजने में सहायता करेगी जिसके परिणामस्वरूप एक सुसंगत दृष्टिकोण और सहजता से रास्ता खोजने की रणनीति की होगी।

निर्बाध संपर्क और सुविधा

स्टेशनों का इंटीरियर दैनिक यात्रियों के लिए निर्बाध संपर्क और सुविधा प्रदान करने के साथ ही कार्यक्षमता और संचालन में अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया जाएगा। सुंदरता हो ध्यान में रखते हुए, स्टेशन सुखद रंगों के उपयोग के साथ जीवंत हो जाएंगे और उचित स्थानों पर साइनेज, बैठने की व्यवस्था, लाउंज और प्रतीक्षा क्षेत्र आदि की सभी सुविधाएं होंगीं। लेकिन 12 स्थानों में फैले इन एचएसआर स्टेशनों के परिचालन और संरचनात्मक लचीलेपन को बढ़ाने में उतनी ही गहन विचार प्रक्रिया से गुजरे हैं । आरम्भ में, साबरमती और अहमदाबाद स्टेशन अन्य इंटर और इंट्रा सिटी परिवहन नेटवर्क जैसे रोडवेज, वायुमार्ग और रेलवे के बीच निर्बाध संपर्क प्रदान करेंगे। इंटरमॉडल केंद्र के रूप में, एचएसआर स्टेशन यात्रियों को कनेक्टिविटी की सुविधा और अपने अंतिम गंतव्य तक बहुत आसानी से पहुंचने के लिए अनेक विकल्प प्रदान करेंगे ।

चूंकि रेलवे स्टेशनों को शहरी व्यवस्था के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में देखा जाता है, इसलिए एचएसआर स्टेशन अपनी तार्किक डिजाइन योजना और विभिन्न कस्बों, शहरों, जिलों आदि के बीच बेहतर संपर्क के माध्यम से, सड़कों पर भीड़ कम करने में सहायक होंगे और रेल यात्रियों को विश्व स्तरीय एचएसआर रेल के सुविधा-संसाधन और सुविधाएं प्रदान करेंगे।

भवन स्थल, प्रौद्योगिकी और सामग्री को पूर्णत: एकीकृत करते हुए, एचएसआर स्टेशन के भवनों को उच्च गुणवत्ता तथा लंबे और सुदृढ़ सेवा काल वाले परिसर बनाने के लिए, क्षेत्रीय विशिष्टताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली अत्यधिक उन्नत तकनीकों का उपयोग करके डिज़ाइन किया जाएगा। महाराष्ट्र और गुजरात के बीच भारत की पहली बुलेट ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए एचएसआर स्टेशनों के सभी नवाचारों पर एक त्वरित दृष्टि इस प्रकार है।

क्षेत्रीय संस्कृति की अभिव्यक्ति

यात्रा के एक नए, आधुनिक और सुविधाजनक तरीके के प्रवेश द्वार के रूप में, अधिकतर एचएसआर स्टेशनों को उस क्षेत्र के वास्तुशिल्प और सांस्कृतिक लोकाचार और परंपराओं को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है जहां उनका निर्माण होगा ।  समग्र एचएसआर स्टेशन योजना की सबसे विशेष बात यह है कि वडोदरा, बिलिमोरा, सूरत और साबरमती यात्री केंद्र जैसे स्टेशनों के लिए चुनी गई डिजाइन थीम हैं । प्रत्येक स्टेशन में उन सांस्कृतिक या पारंपरिक लोकाचार से प्रेरित थीम होगी, जिनसे इन स्थानों को याद किया जाता है या उन्हें पहचाना जाता है। उदाहरण के लिए, साबरमती उस स्थान के रूप में प्रसिद्ध है, जहां से महात्मा गांधी ने 1930 में दांडी मार्च की शुरुआत की थी और साबरमती के एचएसआर रेलवे स्टेशन और साबरमती यात्री केंद्र में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इस ऐतिहासिक आंदोलन की कुछ वास्तुशिल्प विशेषताएं होंगी। 

इसी प्रकार, प्रेरित डिजाइनों के इस पैटर्न के अनुसार, वडोदरा, बिलिमोरा और सूरत के एचएसआर स्टेशनों में क्रमशः बरगद के पेड़, आम और हीरे से प्रेरित विशेषताएं होंगी, जिनके लिए ये शहर मुख्यत: जाने जाते हैं।

पारिस्थितिक रणनीति

पारिस्थितिकी, हरियाली और पर्यावरण संरक्षण जैसी सतत विकास अवधारणाओं को साकार करने के लिए एचएसआर स्टेशनों के निर्माण में नई सामग्री और प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाएगा। डिजाइनों में ऊर्जा-बचत के अप्रत्यक्ष उपाय और सक्रिय पारिस्थितिक प्रौद्योगिकी दोनों प्रभावी रूप से भवनों की ऊर्जा खपत को कम करने में मदद करेंगे, जिससे स्टेशनों के पारिस्थितिक और पर्यावरण संरक्षण के प्रत्यक्ष प्रभाव में व्यापक सुधार होगा। सभी एचएसआर स्टेशन भवनों की पारिस्थितिकीय स्थिरता में सहायता के लिए सुसज्जित और उन्मुख होंगे। छत में एकीकृत सौर पैनल, प्राकृतिक प्रकाश और वेंटिलेशन एक साथ मिलकर एचएसआर स्टेशनों को अपनी ऊर्जा खपत कम करने में सक्षम बनाएंगे। इसके अतिरिक्त, जल पुनर्चक्रण गड्ढों और संरक्षण गड्ढों के निर्माण के साथ-साथ वर्षा जल संचयन के प्रावधान एक महत्वपूर्ण डिजाइन विशेषता के रूप में शामिल होंगे।
 

सभी श्रेणियों के यात्रियों के लिए विशेष व्यवस्था

हमारे दिव्यांग रेलयात्रियों के लिए यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए, एचएसआर स्टेशनों में अनेक सुविधाएं होंगी, जो न केवल उन्हें भवन में प्रवेश करते ही सुरक्षा का अहसास कराएंगी बल्कि एक ऐसे परिवहन माध्यम का भी विश्वास भी देंगी जिसे उनकी जरूरतों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। दृष्टिबाधित यात्रियों की सुविधा के लिए ब्रेल सुविधा वाला फ़र्श को डिजाइन की अभिन्न विशेषता के रूप में प्रयोग किया जाएगा। यह दृष्टिहीन यात्रियों को स्वतंत्र रूप से और आसानी से स्टेशन में आवागमन में सक्षम बनाएगा। इसके अतिरिक्त, दिव्यांग यात्रियों के लिए, विशेष रैंप और पार्किंग स्थल बनाए जाएंगे ताकि वे बिना किसी असुविधा के अपना रास्ता तय कर सकें और अपने गंतव्य तक सुरक्षित पहुंच सकें। दिव्यांग यात्रियों के लिए स्टेशन विशेष पूछताछ, सहायता और टिकटिंग काउंटरों से सुसज्जित होंगे जहां से वे सहायता प्राप्त कर सकते हैं और उन्हें आगे आरामदायक और कठिनाई मुक्त यात्रा का आश्वासन दिया जा सकता है। यात्रियों के चलने और रेल में चढ़ने में आसानी के लिए एस्केलेटर, लिफ्ट, व्हीलचेयर की व्यवस्था की जाएगी।

वाणिज्यिक और खुदरा गतिविधि केंद्र

ये स्टेशन सार्वजनिक स्थलों के साथ एकीकृत होंगे जो प्रमुख वाणिज्यिक, खुदरा और मनोरंजन गतिविधियों के लिए केंद्र बन जाएगा। एचएसआर स्टेशनों के अंदर और बाहर दोनों जगह, यात्री रेस्तरां, खुदरा दुकानों, कॉफी शॉप, अन्य वाणिज्यिक स्थानों जैसी सुविधाओं का आनंद ले सकते हैं।

यात्रियों के लिए आधुनिक, आरामदायक और सुंदर एवं आकर्षक प्रतीक्षालय होंगे, जिनमें अन्य सुविधाओं के साथ टीवी लाउंज, वाई-फाई आदि जैसी सुविधाएं होंगी। बिजनेस श्रेणी के यात्रियों के लिए, एक अलग प्रतीक्षालय होगा जिसमें उन्हें वाई-फाई, वाचनालय (रीडिंग कॉर्नर), टीवी, चाय / कॉफी सुविधा आदि जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। मल्टीलेवल मैकेनाइज्ड पार्किंग क्षेत्र एक अन्य दिलचस्प विशेषता है जिसका उपयोग यात्री तब कर पाएंगे जब वे किसी प्रियजन को लेने / छोड़ने आएंगे या एमएएचएसआर कॉरिडोर में आने वाले किसी भी स्थान के बीच एक ही दिन यात्रा करेंगे। ये लाउंज और पार्किंग सुविधाएं भुगतान और उपयोग के आधार पर उपलब्ध होंगी।

सुरक्षित

यात्रियों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण पहलू है और एचएसआर स्टेशनों के बाहर और अंदर दोनों जगह ठोस सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी। सीसीटीवी कैमरों, आपातकालीन सहायता केंद्र और पूरे नेटवर्क में भली-भांति डिजाइन की गई प्रकाश व्यवस्था से स्टेशन भवनों को सुसज्जित करने जैसे उपाय जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी । 

भारत में रेल यात्रा के भविष्य की एक स्थापत्य अभिव्यक्ति की कल्पना के रूप में, एचएसआर स्टेशनों में न केवल आधुनिक संरचनाएं, सुविधाएं और सुविधा-संसाधन होंगे, बल्कि भविष्य की अवधारणाओं को भी अपनाया जाएगा, जिससे देश में एक ढांचागत क्रांति की गति निर्धारित होगी।